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दिसंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारतीय होने पर हमें क्यों गर्व होना चाहिये....?

भारतीय होने पर हमें क्यों गर्व होना चाहिये....? जब विज्ञान का नामोनिशान भी नहीं था, तब इस पवित्र भूमि पर पर नवग्रहों की पूजा होती थी। जब पश्चिम के लोग कपडे तक पहनना नहीं जानते थे, तब इस पवित्र भूमि के लोग रेशम के कपडों का व्यापार करते थे। जब कहीं भ्रमण करने का कोई साधन नहीं थे, तब भारत के पास वायुविमान हुआ करते थे। जब डाक्टर्स नहीं थे, तब इस पवित्र भूमि ने चरक और धनवंतरी जैसे महान आयुर्वेद के आचार्यों को पैदा किया। जब लोगों के पास हथियार के नाम पर लकडी और पत्थर के टुकड़े हुआ करते थे, तब इस इस पवित्र भूमि को आग्नेयास्त्र, प्राक्षेपास्त्र, वायव्यअस्त्र जैसे परमाणु हथियारों का ज्ञान था। आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके अल्बर्ट आइंस्टीन पतंजली योग विज्ञान पद्धती से अणु परमाणु खोज सकता है तो नासा अंतरिक्ष में ग्रह खोज रहा है। हमारे ही इतिहास पर रिसर्च करके रूस और अमेरीका बड़े बड़े हथियार बना रहा है। अभी 20 30 साल पहले जन्मा नासा पूरी दुनिया को बताता है कि किस तिथि व समय पर सूर्य अथवा चंद्रग्रहण होगा। इसके सापेक्ष जरा अपना पंजांग उठा कर देखिये कि कैसे भूत और भविष्य की सभी तिथियां अंकि

सनातन ग्रंथ में मौजूद है , सातों महादेश का रहस्य ।

सनातन ग्रंथ में मौजूद है , सातों महादेश का रहस्य । जिसकी खोज 1400 ईसा में हुईं, लेकिन हमारे धर्म ग्रंथों में लाखो साल पहले लिखी गई थी। हमारा धर्म पहले संपूर्ण धरती पर व्याप्त था।  पहले धरती के सात द्वीप थे- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बूद्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है। राजा प्रियव्रत संपूर्ण धरती के और राजा अग्नीन्ध्र सिर्फ जम्बूद्वीप के राजा थे।  जम्बूद्वीप में नौ खंड हैं- इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय। इसमें से भारतखंड को भारत वर्ष कहा जाता था। भारतवर्ष के 9 खंड हैं- इसमें इन्द्रद्वीप, कसेरु, ताम्रपर्ण, गभस्तिमान, नागद्वीप, सौम्य, गन्धर्व और वारुण तथा यह समुद्र से घिरा हुआ द्वीप उनमें नौवां है। भारतवर्ष के इतिहास को ही हिन्दू धर्म का इतिहास नहीं समझना चाहिए। ईस्वी सदी की शुरुआत में जब अखंड भारत से अलग दुनिया के अन्य हिस्सों में लोग पढ़ना-लिखना और सभ्य होना सीख रहे थे, तो दूसरी ओर भारत में विक्रमादित्य, पाणीनी, चाणक्य जैसे विद्वान व्याकरण और अर्थशास्त्र की नई इमारत खड़ी कर रहे थे। इसके बाद आर्यभट्