भारतीय होने पर हमें क्यों गर्व होना चाहिये....?
जब विज्ञान का नामोनिशान भी नहीं था, तब इस पवित्र भूमि पर पर नवग्रहों की पूजा होती थी। जब पश्चिम के लोग कपडे तक पहनना नहीं जानते थे, तब इस पवित्र भूमि के लोग रेशम के कपडों का व्यापार करते थे। जब कहीं भ्रमण करने का कोई साधन नहीं थे, तब भारत के पास वायुविमान हुआ करते थे।
जब डाक्टर्स नहीं थे, तब इस पवित्र भूमि ने चरक और धनवंतरी जैसे महान आयुर्वेद के आचार्यों को पैदा किया। जब लोगों के पास हथियार के नाम पर लकडी और पत्थर के टुकड़े हुआ करते थे, तब इस इस पवित्र भूमि को आग्नेयास्त्र, प्राक्षेपास्त्र, वायव्यअस्त्र जैसे परमाणु हथियारों का ज्ञान था।
आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके अल्बर्ट आइंस्टीन पतंजली योग विज्ञान पद्धती से अणु परमाणु खोज सकता है तो नासा अंतरिक्ष में ग्रह खोज रहा है। हमारे ही इतिहास पर रिसर्च करके रूस और अमेरीका बड़े बड़े हथियार बना रहा है। अभी 20 30 साल पहले जन्मा नासा पूरी दुनिया को बताता है कि किस तिथि व समय पर सूर्य अथवा चंद्रग्रहण होगा। इसके सापेक्ष जरा अपना पंजांग उठा कर देखिये कि कैसे भूत और भविष्य की सभी तिथियां अंकित और निश्चित हैं।
आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके रूस, ब्रिटेन, अमेरीका, थाईलैंड, इंडोनेशिया जैसे देश बचपन से ही अपने बच्चों को स्कूलों में संस्कृत सिखा रहे हैं। आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके वहाँ के डाक्टर्स बिना इंजेक्शन, बिना अंग्रेजी दवाईयों के केवल ओमकार का जप करने से लोगों के हार्ट अटैक, बीपी, पेट, सिर, गले छाती की बड़ी बड़ी बीमारियों को ठीक कर रहे हैं।
ओमकार थैरपी व गर्भ संस्कार का नाम देकर इस नाम से बड़े बड़े हॉस्पिटल खोल रहे हैं।
लेकिन विडंबना देखिये कि हम कैसे और किस दुनिया में जी रहे हैं, अपने इतिहास और संस्कृति पर गौरव करने की बजाय हम अपने इतिहास को भूलते जा रहे हैं। हम अपनी संस्कृति और महिमा को भूलते जा रहे हैं। हम अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। हम अपने संतों, शास्त्रों, पुराणों, महापुरुषों को भूलते जा रहे हैं।
खैर इसमें हमारा कोई दोष भी नही है। दोष है तो वर्षो तक गुलामी में जीवन यापन करने के बाद उन कर्णधारो का जिन्हें विरासत में भारतीय सत्ता का स्वाद मिला। दोष है तो महान विभूतियों का जो वर्षो तक सत्तानशीन रहे लेकिन दलाली और भ्रष्टाचार के मकड़जाल से अपने आप को दूर रखकर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर रख नही सके।
दोष है तो उस सरकार का जिसने आजादी के वर्षों बाद भी वामियो और ब्रिटिशर्स द्वारा प्रस्तुत छदम इतिहास पर कभी रोक नही लगाई और हमारी पीढ़ियों को अकबर महान होने का बोध कराया। दोष है तो उन नेताओं का जिन्होंने वोटबैंक की खातिर प्रभु श्रीराम और रामसेतु को काल्पनिक माना और इस बाबत बाकायदा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दिया।
इतिहास हमारा, शक्ति हमारी, रिसर्च हमारी, आयुर्वेद हमारा, योग हमारा, दिव्य शक्तियाँ हमारी लेकिन पाश्चात्य हम पर खोज कर रहा है। हम अपनी संस्कृति को भूल चुके हैं और वो हम पर रिसर्च करके हमसे आगे जा रहें हैं।
जागो और ढूँढो अपने गौरवशाली इतिहास को और दिखा दो दुनिया को कि हिदुस्तान से बढकर कोई नहीं। गर्व करो आप भारत में जन्में हो।
जय हिंद, जय भारत
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