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कहानी एक पुरुष की । इस्त्री की दीवानी

जब कीर्ति से मेरे व्याह की बात चल रही थी, तो लगता था कि ये वही लड़की है जिसे भगवान ने मेरे लिए बनाया है  जल्दी ही हम इतना घुल मिल गए, की जिम्मेदारियों की बाते सम्भोग तक पहुंच गई  अब तो मानो ऐसा लगता था जैसे कि बस जल्दी व्याह हो  कीर्ति का कहना था कि वो मुझसे ज्यादा मेरे मां बाप को प्यार करेगी  एक पुरुष को क्या चाहिए ऐसी लड़की जो उसे जी भर संभोग सुख दे उसका और उसके मां बाप का ध्यान रख सके  हमारा विवाह होता, और हमारे बीच सब अच्छा चलता है, व्याह के बाद ही पता चला कि जिस चीज को करने की पुरुष को इतनी जल्दी होती है, उससे कहीं ज्यादा तड़प एक स्त्री में होती है  मुझे भी कीर्ति पर इतना प्यार आता था, कि मन करता था उसकी हर ख्वाइश पूरी करूं और मैं प्रयास भी करता था  लेकिन समय के साथ जिम्मेदारी बड़ी और मैने कीर्ति को बोला कि हम दोनों को जीवन साथ काटना है इस लिए खर्चे पर थोड़ा ध्यान देना होगा  इसे सुन के उसने तुरंत बोला कि अब क्या कटौती करनी है , ऑलरेडी मन मार कर रहती हूं  मैने मन में सोच कि मैं तो इसकी हर ख्वाइश पूरी करता हूं फिर ये ऐसे कैसे बोल सकती है कि मन मार के रहती हूं  मैने बोला
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आहार का नियम । हर मास में भोजन में नई नई चीज jud जाती हैं।

आहार के नियम भारतीय 12 महीनों में अलग अलग है । #चैत्र ( मार्च-अप्रैल) – इस महीने में गुड का सेवन करे क्योकि गुड आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है। चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 – 5 कोमल पतियों का उपयोग भी करना चाहिए इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते है। नीम की पतियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते है। #वैशाख (अप्रैल – मई)- वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेल पत्र का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करे क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है। #ज्येष्ठ (मई-जून) – भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है , ठंडी छाछ , लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजो का सेवन न करे। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है। #अषाढ़ (जून-जुलाई) – आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल,

अंधेर पुरुष से शादी की कहानी एक इस्त्री की जुबानी

 जब मेरी शादी हुई थी तो मेरी उम्र महज 22 साल थी  पतिदेव की उम्र 33 साल थी, शादी के शुरुवाती दिन में हमारे बीच सब अच्छा था, दिन में कितना भी झगड़ा हो लेकिन रात में पति को करीब पता देख हम दोनो भूल कर एक हो जाते  पहले तो मैंने घर वालों को मना किया क्यों की पति को उम्र ज्यादा थी पर घर वाले नहीं माने  समय के साथ रिश्तों में खटास आती है जो मेरे साथ भी होने लगा  अब क्यों की मैं सिर्फ 22 की था तो खाली होने के बाद मैं अपनी सहेलियों से बात करती और जोर जोर से हंसती थी  ये बात मेरी सास को बिलकुल पसंद नहीं थी उन्होंने बोला बेटा नया नया शादी हुआ है ससुर हैं जेठ हैं इनका लिहाज किया करो  लेकिन मैं आदत से मजबूर थी समय के साथ साथ मेरी सास मुझसे नफरत करने लगी और मुझे भी इसकी कोई परवाह नहीं थी  शादी के 1 साल बाद मेरे पति को काम से विदेश जाना हुआ जिसके लिए मैने भी बोला, तो उन्होंने बोला की मात्र 2 महीने के लिए जाना है कम्पनी सिर्फ मेरा पैसा देगी  लेकिन मुझे तो बस जाना था इसी बात को लेके हम दोनो में अनबन हो गई और मैं अपने मायके आ गई फिर रोज हमारी लड़ाई इसी बात पर होती की मुझे भी साथ जाना है और व

दोस्त पर भरोसा । (Girlfriend aur wife)

हर किसी को अपना दोस्त नहीं बनाना चाहिए।  बना भी लिए तो अपनी बाली से मिलाओ but contact नही बनने दो ।  नीचे exampal तो देख ही रहे हो ।  समझदार बनिए , सुरक्षित रहिए ।  अलेक्जेंडर नाम के इस अंग्रेज ने पहले टाइगर श्रॉफ से दोस्ती की और फिर उसकी गर्लफ्रेंड दिशा पाटनी को ज्यादा मजा देकर उसे अपना बना लिया। इसके बाद दिशा ने टाइगर के पिछवाड़े में लात मार दी और उससे ब्रेकअप कर लिया इसके बाद उसने हार्दिक पांड्या से दोस्ती की और उसकी पत्नी को भी इसी तरह अपना बना लिया। इसके बाद नताशा ने हार्दिक के पिछवाड़े में लात मार कर उसे तलाक ले लिया।  इसीलिए मैं हमेशा कहता हूं दोस्त चाहे कितना ही जिगरी क्यों ना हो उसे कभी भी अपनी बंदी से नहीं मिलाना चाहिए।  इस विषय में आपकी क्या राय है? Comment में जरूर लिखे । 

शाहजहां की असलियत

शाहजहां की असलियत ================ शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज के मरने के बाद अपनी बेटी जहाँनारा को अपनी पत्नी बनाया  हमें इतिहास में ये क्यों नही पढ़ाया गया??? चलिए जानते है #वामपंथी इतिहासकारो ने कैसे #हवस के शहंशाह को प्रेम का मसीहा बताया देश के इतिहास में वामपंथी इतिहासकारों ने हवस में डूबे मुगलों को हमेशा महान बताया जिसमे से एक शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए, आठ हजार औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा।   आप यह जानकर हैरान हो जाएँगे कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं, बल्कि उसका असली नाम ‘अर्जुमंद-बानो-बेगम’ था और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हाँकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी । मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी। इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले 3 शादियाँ कर रखी थी और मुमताज से शादी करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी उसने 3 शादियाँ और की, यहाँ तक कि मुमताज के मरने के एक हफ्त

Sarkari Naukri

प्रयागराज में रह रहें सतीश को आज बाबूजी का फोन आया था। बोल रहे थे "अब हमारी सामर्थ्य नहीं कि तुमको घर से पइसा भेज सकें। अब कर्ज भी किससे लूं कोई देने को तैयार भी तो नहीं।" सतीश ने भारी मन से बोला "और एक महीना रूक जाइए बाबूजी       अगले महीना ही ssc की परीक्षा है। इस बार तैयारी भी अच्छी है। परीक्षा से पहले यदि घर चला गया तो घर पर पढ़ नहीं पाएंगे और सारी तैयारी चौपट हो जाएगी। इतने दिनों से जब भेज ही रहें हैं तो किसी तरह से बस एक महीने का और भेज दीजिए।" बात किसी तरह सतीश की माई तक पहुंच गई। माई ने तुरंत सतीश को फोन लगाया और बोली "तु चिंता मत करिहअ लाल इ बार बाबूजी ना भेजिहे त हम भेज देब । सतीश का एक बार मन हुआ कि पूछ लूं "कि माई तुम कहां से रूपया भेजबु ?" लेकिन सहम गया। और उनके दिलो-दिमाग में ये प्रश्न कोंधने लगा आखिरकार माई कहां से रूपया भेजेगी? माई अपनी गहना तो....... नहीं.. नहीं... नहीं। माई ऐसा नहीं करेंगी। सतीस को का मालूम माई कुछु कर देगी लाल के लिये 🙏🙏 बस सरकार को दिखाई नही देता माई और भाई का ये त्याग 🙏

पराया घर 🌄

पराया घर  〰️🔸〰️ शादी के तीसरे दिन ही बीएड का इम्तेहान देने जाना था उसे। रात भर ठीक से सो भी नहीं पायी थी। किताब के पन्नों को पलटते हुए कब भोर हुई पता भी नहीं चला। हल्का उजाला हुआ तो रितु जगाने के लिए आ गयी। बहुत मेहमान थे, तो सबके जागने से पहले ही दुल्हन नहा ले। नहीं तो फिर आंगन में भीड़ बढ़ जाएगी। सबके सामने सब गीले बाल, सिर पर पल्लू लिए बिना थोड़े निकलेगी। नहा कर रूम मे बैठ कर फिर किताब में खो गयी। मुँह-दिखाई के लिए दो-चार औरतें आयी थी। सब मुँह देख कर हाथों में मुड़े-तुड़े कुछ पचास के नोट और सिक्के दे कर बैठ गयी ओसारा पर। घड़ी में देखा तो साढ़े आठ बज़ रहे थे।  नौ बजे निकलना था। तैयार होने के लिए आईने के सामने साड़ी ले कर खड़ी हो गयी। चार-पाँच बार बांधने की कोशिश की मगर ऊपर-नीचे होते हुए वो बंध न पाया। साड़ी पकड़ कर रुआंसी सी हो कर बैठ गयी। "अम्मा को बोला था शादी नहीं करो मेरी अभी। इम्तेहान दे देने दो। मेरा साल बर्बाद हो जायेगा मगर मेरी एक न सुनी। नौकरी वाला दूल्हा मिला नहीं की बोझ समझ कर मुझे भेज दिया। " आंसू पोछतें हुए बुदबुदा रही थी। "तैयार नहीं हुई। बाहर गाड़ी आ गयी