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नवंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुर्दों की पंचायत ।

एक तालाब में एक मछली रहती थी और पास में ही एक बगुला.. मछली अपने तालाब की सबसे होशियार लड़की थी पढ़ने में तेज घर के सभी कामो में एकदम चतुर.. बगुले की उसपर काफी समय से नजर थी.. उसने एक दिन उससे बात करने की कोशिश की.. मछली ने अपने घर वालों से बताया तो घर वालों ने समझाया बेटा बगुले से दूर रहना खा लेगा तुम्हे.. लड़की बोली ठीक है... घर वाले भी इतना समझाकर सोचे हो गया हमारा कर्तव्य.. लेकिन बगुले को पता था कैसे फांसना है मछली को... उसकी ट्रेनिंग थी उसके पास.. उसने पढा था इन सबके बारे में.. वो जानबूझकर उसके आसपास घूमता.. कभी आम खाता कभी जामुन कभी अमरूद.. मछली सोचने लगी घर वाले तो बोलते हैं ये बगुले तो मछली कीड़े सब खाते हैं.. लेकिन ये तो नही खा रहा.. कुछ दिनों बाद बगुले ने मछली से फिर बात करने की कोशिश की.. इस बार मछली धीरे धीरे उससे बात करने लगी.. उसे घरवालों की तमाम बातें झूठी लगने लगी जो उसने बगुले के बारे में सुन रखी थी.. वो प्यार से उसे बगदुल कहने लगी.. कोई समझाता तो कहती मेरा वाला बगदुल वैसा नही है.. वो मछली नही खाता.. मेरे परिवार और मेरी इज्जत करता है.. स्मार्ट गोरा भी है.. मेरा

शिखा बन्धन (चोटी) रखने का महत्त्व

क्यों रखना चाहिए चोटी । इसके क्या है फायदे । जरूर पढ़े  शिखा का महत्त्व विदेशी जान गए हिन्दू भूल गए। हिन्दू धर्म का छोटे से छोटा सिध्दांत, छोटी-से-छोटी बात भी अपनी जगह पूर्ण और कल्याणकारी हैं। छोटी सी शिखा अर्थात् चोटी भी कल्याण, विकास का साधन बनकर अपनी पूर्णता व आवश्यकता को दर्शाती हैं। शिखा का त्याग करना मानो अपने कल्याणका त्याग करना हैं। जैसे घङी के छोटे पुर्जे कीजगह बडा पुर्जा काम नहीं कर सकता क्योंकि भले वह छोटा हैं परन्तु उसकी अपनी महत्ता है।  शिखा न रखने से हम जिस लाभ से वंचित रह जाते हैं, उसकी पूर्ति अन्य किसी साधन से नहीं हो सकती। 'हरिवंश पुराण' में एक कथा आती है हैहय व तालजंघ वंश के राजाओं ने शक, यवन, काम्बोज पारद आदि राजाओं को साथ लेकर राजा बाहू का राज्य छीन लिया। राजा बाहु अपनी पत्नी के साथ वन में चला गया। वहाँ राजा की मृत्यु हो गयी। महर्षिऔर्व ने उसकी गर्भवती पत्नी की रक्षा की और उसे अपने आश्रम में ले आये। वहाँ उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जो आगे चलकर राजा सगर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। राजासगर ने महर्षि और्व से शस्त्र और शास्त्र विद्या सीखीं। समय पाकर राजा

बकरीद , ये एक ट्रेनिंग नही तो क्या है 🔥

hmm bhai .... Ue jo hota hai....  और आप आज तक इसे समझ नही पाए.. बकरी ईद से पहले पूरा अब्दुल का परिवार करीब 10 दिनों तक बकरी/बकरे को रखता है.. इस समय के दौरान, वे इसे खिलाते है इसे नहलाते है इसके साथ खेलते है और लगभग एक बच्चे की तरह इसकी देखभाल करते है.. घर के बच्चे इसके प्रति बहुत स्नेही हो जाते है..  फिर एक सुबह बकरे को #हलाल किया जाता है..  बच्चों की आंखों के ठीक सामने.. बच्चे शुरू मे क्रोधित, उन्मादी और उदास हो जाते है लेकिन अंततः उन्हें इसकी आदत हो जाती है.. यह प्रक्रिया 1 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे पर हर साल दोहराई जाती है.. जब वे 18 वर्ष के होते हैं, तब तक वे जान जाते हैं कि #इस्लाम के लिए जीवन की सबसे प्रिय वस्तु की भी कुर्बानी दी जाती है यहां तक ​​कि जिस बकरे को आप पाल रहे थे और जिसे प्यार से पाल-पोस कर आपने बड़ा किया वो भी मायने नहीं रखता.. इसलिए जब वे आपसे दोस्ती करते हैं, आपके लिए मददगार होते हैं, आपको भाई-बहन कहते हैं, और आपके करीब हो जाते हैं..... #याद_रखें .....  कि उन्होंने बचपन से हर साल इस कला का अभ्यास किया है.. आप भी अब्दुल के लिए बकरी या बकरे से ज्यादा क

गायत्री शिखा बंधन क्या है?

गायत्री शिखा बंधन क्या है?  शिखाबन्धन (वन्दन) आचमन के पश्चात् शिखा को जल से गीला करके उसमें ऐसी गाँठ लगानी चाहिये, जो सिरा नीचे से खुल जाए।  इसे आधी गाँठ कहते हैं। गाँठ लगाते समय गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते जाना चाहिये । शिखा, मस्तिष्क के केन्द्र बिन्दु पर स्थापित है। जैसे रेडियो के ध्वनि विस्तारक केन्द्रों में ऊँचे खम्भे लगे होते हैं और वहाँ से ब्राडकास्ट की तरंगें चारों ओर फेंकी जाती हैं, उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क का विद्युत् भण्डार शिखा स्थान पर है, उस केन्द्र में से हमारे विचार, संकल्प और शक्ति परमाणु हर घड़ी बाहर निकल-निकलकर आकाश में दौड़ते रहते हैं।  इस प्रवाह से शक्ति का अनावश्यक व्यय होता है और अपना कोष घटता है। इसका प्रतिरोध करने के लिये शिखा में गाँठ लगा देते हैं। सदा गाँठ लगाये रहने से अपनी मानसिक शक्तियों का बहुत-सा अपव्यय बच जाता है। सन्ध्या करते समय विशेष रूप से गाँठ लगाने का प्रयोजन यह है कि रात्रि को सोते समय यह गाँठ प्रायः शिथिल हो जाती है या खुल जाती है। फिर स्नान करते समय केश-शुद्धि के लिये शिखा को खोलना पड़ता है। सन्ध्या करते समय अनेक सूक्ष्म तत्त्व आ