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अनमोल रिश्ते

पति पत्नी आने वाले त्योहार की ख़रीदारी को लेकर बहुत जल्दीबाजी में थे... 


पति ने पत्नी से कहा:- ज़ल्दी करो, मेरे पास टाईम नहीं है औऱ भी जरुरी काम है ऑफिस का.. 😎

दोनों घर से निकलने लगे ....

तभी बाहर बरामदे में बैठी बूढ़ी मां पर उसके बेटे की नज़र पड़ गई... 
वह मां के पास जाकर बोला:-
मां, हम लोग त्योहार की ख़रीदारी के लिए बाज़ार जा रहे हैं,आपको कुछ चाहिए तो मुझें बता दीजिए... ❓😄

मां ने कहा:- मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा...😎

बेटे के बार बार बहुत ज़ोर देकर कहने पर मां बोली:- ठीक है, तुम रुको, मैं अभी लिख कर देती हूं.... 😄

उसके कुछ देर बाद मां ने बेटे को कुछ लिखकर एक कागज़ थमा दिया...😄 

बेटा गाड़ी के ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए अपनी पत्नी से बोला:-
देखा, मां को भी कुछ चाहिए था लेकिन बोल नहीं रही थी, मेरे ज़िद करने पर लिस्ट बना कर दी है। रोटी और वस्त्र के अलावा भी इंसान को जीवन में बहुत कुछ चाहिए होता है..... 👍

अच्छा बाबा ठीक है, पर पहले मैं अपनी ज़रूरत का सारा सामान लूंगी,बाद में आप अपनी मां की लिस्ट देखते रहना...😎.पत्नी बोली 

दोनों गाड़ी से बाज़ार के लिए निकल पड़े... 

चार घंटों तक पूरी ख़रीदारी करने के बाद पत्नी बोली:-  मैं तो बहुत थक गयी हूं,कार में एसी चला कर बैठती हूं, आप अपनी मां का सामान उनका लिस्ट देख कर खरीद लो.....😄
मां ने इस त्योहार पर क्या मंगाया है...जरा मुझें भी बताना ... ❓😎

पति ने मां का दिया हुआ कागज पत्नी को ही पकड़ा दिया.... 😄

बाप रे! इतनी लंबी लिस्ट, . पता नहीं क्या क्या मंगाया  है❓😎
 और बनो श्रवण कुमार.....कहते हुए पत्नी गुस्से से पति की ओर देखते हुए वापस उसे लिस्ट पकड़ा दी..... 😎

पर ये क्या.... ❓😎

पति की आंखों में आंसू........ ❓😎

लिस्ट पकड़े हुए हाथ सूखे पत्ते की तरह कांप रहा था..... उसका पूरा शरीर बेसुध था..... 

पत्नी बहुत घबरा गई.....क्या हुआ...❓😎 ऐसा क्या मांग लिया है तुम्हारी मां ने.....❓😎

कहकर पति के हाथ से पर्ची झपट ली....😎

हैरान थी पत्नी भी ...क्योंकि इतनी बड़ी पर्ची में बस चंद शब्द ही लिखे थे.....

उस कागज़ में लिखा था....

मेरे कलेजे के टुकड़े, मेरे आंखों के तारे,मेरे बेटे.... 
मुझे इस त्योहार पर क्या किसी भी त्योहार पर कभी कुछ नहीं चाहिए.....❓
फिर भी तुम ज़िद कर रहे हो तो......

अगर शहर की किसी दुकान में अगर मिल जाए तो "फ़ुरसत के कुछ पल मेरे लिए" लेते आना....😎

क्योंकि ढलती हुई सांझ हूं अब मैं,मुझे गहराते अंधियारे से डर लगने लगा है,मुझें अकेलापन से डर लगने लगा है.......
मेरा ये बुढ़ापा मुझे कचोटता है, मुझें अब तन्हाई से डर लगने लगा है......
तो जब तक मैं जिंदा हूं,जब तक मेरी सांसे चल रही हैं, जब तक मेरी धड़कनों में आवाज़ है,कुछ पल बैठा कर मेरे पास.......

कुछ देर के लिए ही सही बांट लिया कर मेरे बुढ़ापे का अकेलापन....
 बिन दीप जलाए ही रौशन हो जाएगी मेरी जीवन की ये काली सांझ.... 😎

कितने साल हो गए बेटा...❓तुझे स्पर्श नहीं किया....😎
एक बार फिर से,आ मेरी गोद में सर रख और मैं ममता भरी हथेली से सहलाऊं तेरे सर को.....

एक बार फिर से इतराए मेरा हृदय मेरे अपनों को क़रीब, बहुत क़रीब पा कर.... 

और मुस्कुरा कर मिलूं मौत के गले .... 

क्या पता अगले त्योहार तक रहूं ना रहूं.......❓😎

दोनों रोने लगे.....😭😭

दोस्तो....
हमारे माता पिता को सिर्फ़ हमारा प्रेम चाहिए, हमारा साथ चाहिए,हमारा आदर औऱ सम्मान चाहिए ।औऱ कुछ नहीं बस.......
🙏🙏

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