हिंदुओं की प्रातीन पवित्र तीर्थस्थल अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य
का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है. यह नगर पवित्र सरयू नदि के तट पर बसा
हुआ है. रामायण के मुताबिक अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी. अयोध्या
हिंदुओ के 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. जिसमें अयोध्या, मथुरा,
हरिद्वार, काशी, कांची , अवंतिका और द्वारका शामिल है. माना जाता है कि
भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था. अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर
का भूमि पूजन (Ram Mandir Bhoomi Pujan Ceremony) किया
जाएगा. भूमि पूजन की सभी तैयारियां जोरों पर हैं. आइए ऐसे में जानते हैं
क्या है अयोध्या का इतिहास और इससे जुड़ी कुछ विशेष बातें-
पारंपरिक इतिहास में, अयोध्या (Ayodhya Ram Mandir) कोसल
राज्य की प्रारंभिक राजधानी थी. गौतमबुद्ध के समय कोसल के दो भाग हो गए थे-
उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल जिनके बीच में सरयू नदी बहती थी. वेदों में
अयोध्या को ईश्वर की नगरी बताया गया है, वहीं इसकी संपन्नता की तुलना
स्वर्ग से की गई है. अथर्ववेद में यौगिक प्रतीक के रूप में अयोध्या का
उल्लेख है- अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या. यह नगरी सरयू के तट पर
बारह योजन लम्बाई और तीन योजन चौड़ाई में बसी थी. कई शताब्दी तक यह नगर
सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा. अयोध्या मूल रूप से हिंदू मंदिरो का शहर
है. जैन मत के अनुसार यहां चौबीस तीर्थंकरों में से पांच तीर्थंकरों का
जन्म हुआ था. क्रम से पहले तीर्थंकर ऋषभनाथ जी, दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ जी,
चौथे तीर्थंकर अभिनंदननाथ जी, पांचवे तीर्थंकर सुमतिनाथ जी और चौदहवें
तीर्थंकर अनंतनाथ जी. इसके अलावा जैन और वैदिक दोनों मतो के अनुसार भगवान
रामचन्द्र जी का जन्म भी इसी भूमि पर हुआ
अयोध्या से जुड़ी कुछ खास बातें
– यह स्थान श्रीराम का जन्म स्थान (Ram Janmabhoomi) है. राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे और इसके पर्याप्त प्रमाण हैं. शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था.
– भगवान श्रीराम के बाद बाद लव ने श्रावस्ती बसाई और इसका स्वतंत्र
उल्लेख अगले 800 वर्षों तक मिलता है. कहते हैं कि भगवान श्रीराम के पुत्र
कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था. इसके बाद
सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा.
– महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़-सी गई लेकिन उस दौर में भी
श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था और लगभग 14वीं सदी तक बरकरार
रहा.
– तथ्यों के मुताबिक, बाबर के आदेश पर सन् 1527-28 में अयोध्या में राम
जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण किया गया.
कालांतर में बाबरी के नाम पर ही इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा.
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