सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सच्चे प्यार की लव स्टोरी A Short Love Story in Hindi

               सच्चे प्यार की लव स्टोरी

        A Short Love Story in Hindi

=================================================

ऋषि को चौदह साल की उम्र में ही पहला प्यार हो गया था| ऋषि उस समय आठवीं क्लास में था, उम्र कम थी लेकिन मॉर्डन ज़माने में लोग इसी उम्र में प्यार कर बैठते हैं|

ऋषि का ये पहला प्यार उसकी क्लास में पढ़ने वाली लड़की “नीलम” के साथ था| नीलम अमीर घराने की लड़की थी, उम्र यही कोई 13 -14 साल ही होगी और दिखने में बला की खूबसूरत थी| नीलम के पापा का प्रापर्टी डीलिंग का काम था, अच्छे पैसे वाले लोग थे|

ऋषि मन ही मन नीलम को दिल दे बैठा था लेकिन हमेशा कहने से डरता था| ऋषि के पिता एक स्कूल में अध्यापक थे| उनका परिवार भी सामान्य ही था इसीलिए डर से ऋषि कभी प्यार का इजहार नहीं करता था|

Heart, Love, Sunset, Shape, Sign, Silhouette, Symbol

चलो इस प्यार के बहाने ऋषि की एक गन्दी आदत सुधर गयी| ऋषि आये दिन स्कूल ना जाने के नए नए बहाने बनाता था लेकिन आज कल टाइम से तैयार होके चुपचाप स्कूल चला आता था| माँ बाप सोचते बच्चा सुधर गया है लेकिन बेटे का दिल तो कहीं और अटक चुका था|

समय ऐसे ही बीतता गया…लेकिन ऋषि की कभी प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं हुई बस चोरी छिपे ही नीलम को देखा करता था| हाँ कभी -कभी उन दोनों में बात भी होती थी लेकिन पढाई के टॉपिक पर ही.. ऋषि दिल की बात ना कह पाया|

समय गुजरा,,आठवीं पास की, नौवीं पास की…अब दसवीं पास कर चुके थे लेकिन चाहत अभी भी दिल में ही दबी थी|


                                 आज स्कूल का अंतिम दिन था| ऋषि मन ही मन उदास था कि शायद अब नीलम को शायद ही देख पायेगा क्यूंकि ऋषि के पिता की इच्छा थी कि दसवीं के बाद बेटे को बड़े शहर में पढ़ाने भेजें|

स्कूल के अंतिम दिन सारे दोस्त एक दूसरे से प्यार से गले मिल रहे थे, अपनी यादें शेयर कर रहे थे| नीलम भी अपनी फ्रेंड्स के साथ काफी खुश थी आज..सब एन्जॉय कर रहे थे,, अंतिम दिन जो था लेकिन ऋषि की आँखों में आंसू थे|

ऋषि चुपचाप क्लास में गया और नीलम के बैग से उसका स्कूल identity card निकाल लिया| उस कार्ड पर नीलम की प्यारी सी फोटो थी| ऋषि ने सोचा कि इस फोटो को देखकर ही मैं अपने प्यार को याद किया करूंगा|

बैंक से लोन लेकर पिताजी ने ऋषि को बाहर पढ़ने भेज दिया| नीलम के पिता ने भी किसी दूसरे शहर में बड़ा मकान बना लिया और वहां शिफ्ट हो गए| ऋषि अब हमेशा के लिए नीलम से जुदा हो चुका था|

समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया,, ऋषि ने अपनी पढाई पूरी की और अब एक बड़ी कम्पनी में नौकरी भी करने लगा था, अच्छी तनख्वाह भी थी लेकिन जिंदगी में एक कमी हमेशा खलती थी – वो थी नीलम।। लाख कोशिशों के बाद भी ऋषि फिर कभी नीलम से मिल नहीं पाया था|



घर वालों ने ऋषि की शादी एक सुन्दर लड़की से कर दी और संयोग से उस लड़की का नाम भी नीलम ही था| ऋषि जब भी अपनी पत्नी को नीलम नाम से पुकारता उसके दिल की धड़कन तेज हो उठती थी| आखों के आगे बचपन की तस्वीरें उभर आया करतीं थी| पत्नी को उसने कभी इस बात का अहसास ना होने दिया था लेकिन आज भी नीलम से सच्चा प्यार करता था|

एक दिन ऋषि कुछ फाइल्स तलाश कर रहा था कि अचानक उसे नीलम का वो बचपन का Identity Card मिल गया| उसपर छपे नीलम के प्यारे से चेहरे को देखकर ऋषि भावुक हो उठा कि तभी पत्नी अंदर आ गयी और उसने भी वह फोटो देख ली|

पत्नी – यह कौन है ? जरा इसकी फोटो मुझे दिखाओ

ऋषि – अरे कुछ नहीं, ये ऐसे ही बचपन में दोस्त थी

Book, Asia, Children, Boys, Education, Girl, Indonesian


पत्नी – अरे यह तो मेरी ही फोटो है, ये मेरा बचपन का फोटो है,, देखो ये लिखा “सरस्वती कान्वेंट स्कूल” यहीं तो पढ़ती थी मैं


ऋषि यह सुनकर ख़ुशी से पागल सा हो गया – क्या है तुम्हारी फोटो है ? मैं इस लड़की से बचपन से बहुत प्यार करता हूँ

नीलम ने अब ऋषि को अपनी पर्सनल डायरी दिखाई जहाँ नीलम की कई बचपन की फोटो लगीं थीं| ऋषि की पत्नी वास्तव में वही नीलम थी जिसे वह बचपन से प्यार करता था|

नीलम ने ऋषि के आंसू पौंछे और प्यार से उसे गले लगा लिया क्यूंकि वह आज से नहीं बल्कि बचपन से ही उसका चाहने वाला था|


Boy, Girl, Love, Pair, Hug, Kiss, Beautiful, Couple

💗

ऋषि बार बार भगवान् का शुक्रिया अदा कर रहा था!!

                                                     by

                                                           funny singh

ये भी पढे ----पति और पत्नी के बलिदान की कहानी


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

knowledge1

कहानी : कैसे आया जूता ⧭

ब्रह्मचारिणी की कथा

करपदमाभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिणयनुनाया।                            माँ दुर्गा को नव शक्तियोंका दूसरा साप ब्रह्मचारिणीका है। यहाँ 'ब' शब्दका अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात् तपकी चारिणी-पका आचरण करनेवाली। कहा भी है-वेदस्तस्य तो ब्रह्म-वेद. तत्व और तप 'ब्रह' शब्दके अर्थ है। ब्रह्माचारिणी देवीका स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं आत्यस भयो।के दाहिने हाथ जपकी माला एवं बायें हाथमें कमण्डलु रहता है। अपने पूर्वजन्म जब हिमालयके घर पुत्री-शाप उत्पत्र जय भारदके उपदेशसे इमो भगवान् शङ्करजीको पति-रूपमें पास करनेके लिये अत्यन्त कठिन तपस्या की थी। सी दुष्कर तपस्याके कारण इन्हें तपाचारिणी अर्थात् प्रहाचारिणी नामसे अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष उन्होंने केवल फल-मूल खाकर व्यतीत किये थे। सी वर्षातक केवल शाकपा निर्वाह किया था। कुछ दिनोंतक कठिन उपवास रखते हुए खुले आकाशके नीचे वर्षा और धूपके अचानक का सहे। इस कठिन तपक्षांके पश्चात् तीन हजार बर्षातक केबल जमीनपर टूटकर गिरे हए बेलपत्रोंको खाकर वह अहर्नि...

उल्लू का राज्याभिषेक

कौवों और उल्लुओं की शत्रुता बड़ी पुरानी है। मगर कितनी पुरानी और क्यों है इसका विचार कम ही लोगों ने किया अथवा करना चाहा। बौद्ध परम्परा में उपर्युक्त दो शत्रुओं के वैमनस्य की एक कथा प्रचलित है। यहाँ वही कथा एक बार फिर सुनाई जा रही है। सम्बोधि प्राप्त करने के बाद बुद्ध जब श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे तो उनके अनुयायियों ने उन्हें उल्लुओं द्वारा अनेक कौवों की संहार की सूचना दी। बुद्ध ने तब यह कथा सुनायी थी। सृष्टि के प्रथम निर्माण चक्र के तुरंत बाद मनुष्यों ने एक सर्वगुण-सम्पन्न पुरुष को अपना अधिपति बनाया; जानवरों ने सिंह को ; तथा मछलियों ने आनन्द नाम के एक विशाल मत्स्य को। इससे प्रेरित हो कर पंछियों ने भी एक सभा की और उल्लू को भारी मत से राजा बनाने का प्रस्ताव रखा। राज्याभिषेक के ठीक पूर्व पंछियों ने दो बार घोषणा भी की कि उल्लू उनका राजा है किन्तु अभिषेक के ठीक पूर्व जब वे तीसरी बार घोषणा करने जा रहे थे तो कौवे ने काँव-काँव कर उनकी घोषणा का विरोध किया और कहा क्यों ऐसे पक्षी को राजा बनाया जा रहा था जो देखने से क्रोधी प्रकृति का है और जिसकी एक वक्र दृष्टि से ही लोग ...